Homeस्टेटजब सीएम भूपेश बघेल ने बजाया ‘मुंडा बाजा देखे...वीडियो

जब सीएम भूपेश बघेल ने बजाया ‘मुंडा बाजा देखे…वीडियो

Raipur times रायपुर। राजधानी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में 3 दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर महोत्सव की शुरुआत की। इस दौरान मंत्री प्रेमसाई सिंह टेकम, मंत्री अनिला भेड़िया और मंत्री अमरजीत भगत भी मौजूद थे. यह कार्यक्रम जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, छत्तीसगढ़ और जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम भूपेश ने कहा कि छत्तीसगढ़ का 44 फीसदी हिस्सा जंगलों से घिरा हुआ है. यहां आदिवासी समाज के 31 प्रतिशत लोग निवास करते हैं। सरगुजा से लेकर बस्तर तक विभिन्न प्रकार की जनजातियाँ निवास करती हैं। प्राकृतिक सौन्दर्य के नाम पर छत्तीसगढ़ एक अछूता राज्य है। छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता को लोग नहीं देख पा रहे हैं, क्योंकि राज्य को लेकर अफवाह है कि यहां नक्सलियों की संख्या ज्यादा है. छत्तीसगढ़ आने से लोग डर रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। पिछले 3 साल में हमने नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है.

सीएम भूपेश बघेल के साथ आदिवासी विकास विभाग के मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम और संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत भी लोक वाद्य यंत्रों की धुन पर थिरकते नजर आए। एक वक्त ऐसा भी आया, जब सीएम भूपेश बघेल अपने आप को थिरकने से रोक नहीं पाए और उन्होंने भी मुंडा बाजा थामा और थाप देने लगे। मुख्यमंत्री ने बस्तर बैंड के कलाकारों के साथ ताल से ताल मिलाया। सीएम ने बस्तर बैंड में शामिल नन्ही कलाकार जया सोढ़ी को गोद में उठाया और उसे प्रोत्साहित किया। बता दें कि तीन दिन के महोत्सव में प्रत्येक शाम छत्तीसगढ़ की विभिन्न नृत्य विधाओं का प्रदर्शन किया जाना है। 

देखे वीडियो

Read more-20 अप्रैल आज का राशिफल Today Rashifal :इन राशि वालो को रहना होगा सावधान…इनका चमकेगा भाग्य, पढ़ें- मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल

16 प्रकार की बोलियों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में विदेशों से भी कलाकार आए और यहां अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यहां की कई आदिवासी बोलियां सिकुड़ती जा रही हैं। यह अपना अस्तित्व समाप्त कर रहा है और संस्कृति विलुप्त हो रही है। इसे ध्यान में रखते हुए 16 प्रकार की बोली जाने वाली भाषाओं में अध्ययन के लिए पाठ्यक्रम रखा गया है। बच्चों को अपनी मातृभाषा से लगाव होगा तो बच्चे भी सीखेंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार विभिन्न जनजातियों को बचाने के लिए काम कर रही है।

सीएम ने कहा कि आज के समय में विलुप्त होती शैलियों और भाषाओं को बचाने की जरूरत है. छत्तीसगढ़ सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव पहली बार आयोजित किया जा रहा है। आदिवासियों को उनका हक दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार कटिबद्ध है।

- Advertisement -
raipur times
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments