हाईकोर्ट ने कोरोना काल में स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में 6 माह तक सेवा देने वाले कर्मियों को सरकारी भर्तियों में 10 नम्बर बोनस देने के निर्देश दिए हैं। इनमें किसी संस्था से कार्य करने वाले भी शामिल हैं। राज्य शासन ने इस सम्बंध में 3 साल पहले घोषणा की थी, लेकिन लाभ नहीं दिया जा रहा था।
आवेदक चन्द्रकांत साहू नवागांव जिला धमतरी निवासी ने कोविड -19 के दौरान अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और प्राथमिक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बेलरगांव द्वारा संयुक्त रूप से संचालित कोविड-19 क्रार्यक्रम में काम लिया था। 6 माह पूरे करने के बाद ऐसे कर्मचारियों ने आगे सर्विस जारी रखने की शासन से मांग की थी। इस पर राज्य शासन ने 7 दिसंबर 2021 को आदेश जारी किया था कि कोविड काल मे जिन कार्यकर्ताओं ने 6 माह की कार्य अवधि पूरी की है, उनको प्रदेश में होने वाली तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के पदों पर चयन प्रक्रिया में 10 बोनस अंक दिए जाएंगे।
आवेदक चंद्रकांत ने स्वास्थ्य विभाग धमतरी जिले में स्वास्थ्य विभाग की भर्ती में अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन का कार्य प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था। इसे अमान्य कर 10 अंक प्रदान नहीं किए गए। इस पर चंद्रकांत ने वकील अनुकूल विश्वास के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई। जस्टिस सचिन सिंह राजपुत की सिंगल बेंच ने आदेश दिया कि शासन के साथ संयुक्त रूप से संचालित कोविड- 19 कार्यक्रम के कार्य करने वाले को भी 10 अंक बोनस दिए जाएं।
बता दें कि अस्थाई कर्मियों को सेवा से निकाले जाने का कई स्तर पर विरोध हुआ था। क्रांतिकारी कोरोना योद्धा संघ की अगुवाई में राजधानी में भी कई दिनों तक प्रदर्शन हुए। ये लोग सेवा वृद्धि की मांग कर रहे थे। इन लोगों ने स्वास्थ्य मंत्री से भी मुलाकात की। इस दौरान इनकी मांगों पर विचार के लिए एक समिति बनाने पर सहमति बनी थी।
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला की अध्यक्षता में बनी समिति में अस्थाई स्वास्थ्य कर्मियों के प्रतिनिधि भी शामिल किए गए थे। 26 अक्टूबर को इस समिति ने अपनी सिफारिश सौंपी। इसमें साफ शब्दों में कहा गया था कि निकाले गए स्थायी कर्मियों को सेवा वृद्धि देना संभव नहीं है। समिति की सिफारिश थी कि आपदा के समय जान जोखिम में डालकर दी गई उनकी सेवा को ध्यान में रखते हुए आने वाली भर्तियों में लाभ दिया जा सकता है।