Krishna Janmashtami 2022: पुराणों के अनुसार, श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं। मथुरा के राजा कंस की बहन देवकी की कोख से नंदलाल का जन्म हुआ था। कान्हा का बचपन गोकुल और वृंदावन में माता यशोदा की देखरेख में बीता। बाद में मामा कंस का उद्धार करने के लिए श्री कृष्ण मथुरा वापस आ गए। मथुरा, गोकुल, वृंदावन और बरसाना में देवकीनंदन की शरारतों, खेल कूद की कई यादें और कहानियां मौजूद हैं। इन जगहों पर कई कृष्ण मंदिर हैं, जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं।
लेकिन उत्तर प्रदेश के मथुरा और उसके आसपास के जिलों में वासुदेव के मंदिरों के अलावा भी देश में कई बड़े कृष्ण मंदिर हैं। श्रीकृष्ण द्वारिका के राजा थे, जहां उनका राजमहल हुआ करता था। इसके अलावा उड़ीसा के पुरी में श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ भगवान जगन्नाथ के रूप में विराजमान हैं। इस बार 19 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। इस मौके पर अगर आप भगवान श्रीहरि के मंदिर जाकर उनके दर्शन और पूजा अर्चना करना चाहते हैं तो यहां आपको देश के सबसे प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों के बारे में जानकारी दी जा रही है। इस कृष्ण जन्माष्टमी पर कान्हा के प्रसिद्ध मंदिरों के करें दर्शन।
मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में राजा कंस के महल में बने कारावास में कान्हा का जन्म हुआ था। कंस कन्हैया के मामा थे। एक भविष्यवाणी के बाद कंस ने अपनी बहन और बहनोई को जेल में बंद कर दिया था। कान्हा का जन्म जिस जेल में हुआ, उसे आज कृष्ण जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है। कृष्ण जन्मभूमि को खूबसूरत मंदिर के तौर पर तैयार किया गया है। मंदिर में प्रवेश के बाद एक कृत्रिम गुफा बनाई गई है, जहां भक्तों को कृष्ण जन्म की पूरी कथा झांकियों के माध्यम से दर्शायी जाती है। इस गुफा को साउंड इफेक्ट के जरिए अधिक प्रभावी बनाया गया है। इसके आगे बढ़ने पर आप वह जेल देख सकते हैं, जहां देवकीनंदन का जन्म हुआ था। यहां की आरती में भी आप शामिल हो सकते हैं।
Janmashtami 2022: जन्माष्टमी मनाने को लेकर भी है संशय की स्थिति, जानें क्या है समाधान
बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
जन्म के बाद नन्हे कृष्ण को उनके पिता वासुदेव चुपके से गोकुल में अपने चचेरे भाई नंद बाबा के घर पर छोड़ आए थे। कन्हैया का बचपन नंदबाबा और उनकी पत्नी माता यशोदा के बेटे के रूप में गोकुल में बीता। बाद में वह वृंदावन आ गए। गोकुल और वृंदावन की गलियों में कान्हा खेला करते थे, अपनी गायों को चराने के लिए ले जाया करते थे। गोकुल और वृंदावन की गलियों में कृष्ण के कई मंदिर हैं, जो उनकी यादों को ताजा करते हैं। इन्हीं मंदिरों में वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर भी है। वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से है। जन्माष्टमी के दिन यहां मंगला आरती के बाद भक्तों के लिए राज दो बजे मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं। मंगला आरती साल में केवल एक ही बार होती है। इस जन्माष्टमी अगर आप बांके बिहारी मंदिर जाएं तो मंगला आरती में भी जरूर शामिल हों।
द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात
कृष्ण मथुरा को छोड़कर गुजरात चले गए। यहां समुद्री तट पर स्थित कुशस्थली में केशव मे द्वारिका नाम का भव्य नगर बसाया। यहां श्रीकृष्ण को द्वारकाधीश कहा जाता है। कान्हा यहां के राजा बन गए और अपनी 16108 रानियों के साथ रहने लगे। द्वारका भारत के पवित्र चार धाम मंदिरों में शामिल है। चारों धामों में यह पश्चिमी धाम है। जन्माष्टमी के मौके पर मंदिर को बहुत भव्य तरीके से सजाया जाता है। द्वारका मंदिर के अलावा गुजरात में रणछोड़राय और अन्य कई प्रसिद्ध मंदिर भी हैं
जगन्नाथ पुरी, उड़ीसा
भारत के चार धामों में से एक उड़ीसा का जगन्नाथ पुरी मंदिर है। यहां भगवान कृष्ण बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। मान्यता है कि द्वापर के बाद भगवान श्रीकृष्ण पुरी में निवास करने लगे थे। जगन्नाथ पुरी की वार्षिक रथ यात्रा दुनिया भर में मशहूर है। यहां भगवान कृष्ण के रथ को खींचने के लिए दूर दराज से भक्त आते हैं। तीन विशाल रथों की यात्रा निकाली जाती है, जिसमें सबसे आगे प्रभु बलराम, फिर बहन सुभद्रा और आखिर में जगत के नाथ भगवान श्री जगन्नाथ जी होते हैं। आप कृष्ण जन्माष्टमी या फिर रक्षाबंधन के मौके पर भी जगन्नाथ पुरी धाम जा सकते हैं।
श्रीकृष्ण मठ मंदिर, उडुपी
दक्षिण भारत में भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में उडुपी का मंदिर शामिल है। कर्नाटक के उडुपी श्रीकृष्ण मठ मंदिर की एक खासियत है। यहां भगवान की पूजा खिड़की के नौ छिद्रों में से की जाती है। यह मंदिर लकड़ी और पत्थर से बना हुआ है। मंदिर के पास मौजूद तालाब के पानी में मंदिर का प्रतिबिंब दिखाई देता है। जन्माष्टमी का उत्सव मंदिर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। श्रीकृष्ण मठ मंदिर में इस मौके पर बहुत ज्यादा भीड़ लगती है।