नई दिल्ली: Amarnath Yatra 2023: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि अमरनाथ तीर्थयात्रियों की यात्रा सुविधाजनक हो और अधिकारियों को जम्मू-कश्मीर में पूरे तीर्थ यात्रा मार्ग पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था करने का निर्देश दिया. गृह मंत्री ने एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही, जहां उन्होंने केंद्र सरकार, सेना और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के साथ अमरनाथ यात्रा की तैयारियों का जायजा लिया. दक्षिण कश्मीर हिमालय में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ की पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए 62 दिवसीय वार्षिक तीर्थयात्रा एक जुलाई से शुरू होगी और 31 अगस्त तक जारी रहेगी.
बैठक के दौरान, गृह मंत्री ने कहा कि यह नरेन्द्र मोदी सरकार की प्राथमिकता है कि अमरनाथ तीर्थयात्रियों को आराम से ‘दर्शन’ हो और किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े. एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, उन्होंने अधिकारियों को अमरनाथ यात्रा के पूरे मार्ग पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए. तीर्थयात्री जम्मू – कश्मीर में दो मार्गों – बालटाल और पहलगाम – से यात्रा करते हैं. बैठक में बताया गया कि सभी तीर्थयात्रियों को आरएफआईडी कार्ड दिए जाएंगे ताकि उनकी वास्तविक वर्तमान स्थिति (रियल टाइम लोकेशन) का पता लगाया जा सके और सभी को 5 लाख रुपये का बीमा कवर दिया जाएगा. तीर्थयात्रियों को ले जाने वाले प्रत्येक जानवर के लिए 50,000 रुपये का बीमा कवर होगा.
श्रीनगर-जम्मू से रात में हवाई सेवा उपलब्ध होगी
अमित शाह ने तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन से तीर्थस्थल आधार शिविर तक के मार्ग पर सुचारू व्यवस्था करने पर जोर दिया और श्रीनगर और जम्मू से रात में हवाई सेवा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. गृह मंत्री ने ऑक्सीजन सिलेंडरों का पर्याप्त भंडार और उनकी रिफिलिंग सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया तथा डॉक्टरों की अतिरिक्त टीमों की उपलब्धता के लिए कहा. उन्होंने किसी भी मेडिकल इमरजेंसी से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में शय्या और एंबुलेंस और हेलीकॉप्टर की तैनाती सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. शाह ने तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा, ठहरने, बिजली, पानी, संचार और स्वास्थ्य सहित सभी आवश्यक सुविधाओं की उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए. उन्होंने तीर्थाटन मार्गों पर बेहतर संचार व्यवस्था सुनिश्चित करने और भूस्खलन की स्थिति में मार्गों को तुरंत खोलने के लिए मशीनों की तैनाती के निर्देश दिए.
तीर्थयात्रियों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाएगा
एक बयान में कहा गया कि इसके साथ ही यात्रा मार्गों पर तंबुओं से बनी बस्तियों, वाई-फाई हॉटस्पॉट और उचित रोशनी की व्यवस्था की जाएगी. इसमें कहा गया है कि इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन-सजीव ‘बाबा बर्फानी के दर्शन’, पवित्र अमरनाथ गुफा में सुबह और शाम आरती का सीधा प्रसारण और आधार शिविरों में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका बैठक में मौजूद शीर्ष अधिकारियों में शामिल थे. सूत्रों के मुताबिक, ऐसी खुफिया जानकारी मिली है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह तीर्थ यात्रा को बाधित करने की कोशिश कर सकते हैं. बैठक में तीर्थ यात्रा के सभी हितधारकों ने भाग लिया है और इसके लिए की जा रही व्यवस्थाओं से संबंधित सभी मुद्दों पर चर्चा की गई है.
इस बार 5 लाख श्रद्धालु अमरनाथ पहुंच सकते हैं
पिछले साल 3.45 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे और इस साल यह संख्या पांच लाख के पार जाने का अनुमान है. सूत्रों ने कहा कि किसी भी संभावित प्राकृतिक हादसे के खतरे को देखते हुए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने श्रद्धालु शिविरों के लिए उपयुक्त जगहों की पहचान शुरू कर दी है. मालूम हो कि पिछले साल भारी बारिश के कारण पवित्र गुफा के पास अचानक आई बाढ़ से 16 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. सूत्रों के मुताबिक, पवित्र गुफा के ऊपरी हिस्से में हिमनदीय घटनाओं और झीलों के निर्माण का पता लगाने के लिए भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों से हवाई निरीक्षण करवाए जाने की संभावना है. हिमनदीय घटनाओं और झीलों के निर्माण की वजह से निचले भाग में अचानक बाढ़ आने की आशंका बढ़ जाती है.
प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए प्रशासन सतर्क
सूत्रों ने कहा कि पिछले साल जून में अचानक आई बाढ़ के बाद ही हवाई निरीक्षण करवाया गया था, लेकिन इस बार यात्रा की शुरुआत से पहले और दो महीने की तीर्थयात्रा के दौरान नियमित अंतराल पर यह अभ्यास किया जाएगा. उन्होंने बताया कि रिमोट सेंसिंग एवं उपग्रह, जल विज्ञान और आपदा प्रतिक्रिया में विशेषज्ञता वाली टीम द्वारा हवाई सर्वेक्षण किया जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि पानी का खतरनाक जमाव दिखने पर पूरे तीर्थ यात्रा मार्ग, खासतौर पर अमरनाथ गुफा के पास के क्षेत्र में आकस्मिक उपाय किए जाएंगे. सूत्रों के अनुसार, अमरनाथ गुफा को जाने वाले दोनों मार्गों-बालटाल और पहलगाम पर भारी बर्फ मौजूद है और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को 15 जून तक बर्फ हटाने का काम सौंपा गया है.