Kedarnath Dham : बद्री केदार मंदिर समिति ने केदारनाथ के गर्भगृह की दीवारों को चांदी की जगह सोने से बनाने का निर्णय लिया था. वहीं कुछ स्थानीय पुजारियों ने इस फैसले का विरोध किया है. दरअसल मुंबई के एक व्यापारी ने मंदिर को 230 किलो सोना दान किया था। जिसके बाद समिति ने यह फैसला लिया।था
स्थानीयों पुजारियों ने किया समिति के फैसले का विरोध
मंदिर में 230 किलोग्राम सोना दान करने के साथ व्यापारी ने कहा कि उनकी काफी वक्त से इच्छा थी कि वो मंदिर के गर्भगृह दीवारों को सोने से सजा हुआ देखें. लेकिन कुछ स्थानीय पुजारी इस कदम का विरोध करते हुए ये कह रहे हैं कि सोना धन और सांसारिक सुख का प्रतीक है और मंदिर के प्राचीन मूल्यों के खिलाफ भी है. बता दें कि साल 2017 में गर्भगृह की दीवारों को चांदी से ढक दिया गया था. तब इसमें 230 किलोग्राम चांदी का इस्तेमाल हुआ था. जिसके अनुसार अब सोने से दीवार ढकने के लिए भी इतनी ही मात्रा में सोने की जरूरत होगी, जिसकी कीमत 100 करोड़ रुपये से अधिक है.
केदारनाथ मोक्ष धाम है, इसे सोने की जरूरत नहीं
वहीं चार धाम तीर्थ पुरोहित समाज के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने कहा, सदियों से, हमारे भगवान पत्थरों के रूप में हैं और वहां ‘प्राण प्रतिष्ठा’ की जाती है. सोने की प्लेटों को जोड़ना दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण नवीनीकरण हो सकता है लेकिन भगवान शिव के लिए ये प्लास्टिक सर्जरी की तरह होगा. केदारनाथ मोक्ष धाम है और वैराग्य का प्रतीक है. भगवान शिव ने हिमालय आने के लिए सब कुछ छोड़ दिया. यहां तक कि जब हर साल मंदिर के पट बंद हो जाते हैं, तब भी हम केवल भभूति (राख) का उपयोग करते हैं और कुछ नहीं. ऐसे में मंदिर को सजाने के लिए सोने या किसी भौतिकवादी चीज की जरूरत नहीं है.