बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है, जिसके कारण देश में हजारों बालक और बालिकाओं को समय के पूर्व ही पारिवारिक बंधनों में बांध कर माता पिता द्वारा उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जाता है।
सरकार द्वारा इस कुरीति को समाज से पूर्णतः समाप्त करने के उद्देश्य से बाल विवाह निषेध अधिनियम लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत बाल विवाह करवाने वाले वर-वधु दोनों पक्षों के माता-पिता तथा विवाह में शामिल अन्य समस्त व्यक्तियों पर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान रखा गया है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास ने सभी माता-पिताओं से अपील की है कि आप अपने बच्चों का विवाह निर्धारित आयु के पूर्व किसी भी दशा में न करें। साथ ही उन्होंने सभी नागरिकों से अनुरोध किया कि ऐसे किसी भी विवाह कार्यक्रम में शामिल ना हों, अन्यथा उनके विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जावेगी।
बाल विवाह की कुरीति को मिटाने के उद्देश्य से नवीन प्रयास के इसी क्रम में एक विशेष अपील विवाह पत्रिका छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस, हलवाई, केटर्स, धर्मगुरु, बैन्डवाला, ट्रान्सपोर्ट एवं समाज के मुखिया, जनप्रतिनिधियों एवं अशासकीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों आदि से की जाती है कि वे विवाह के पूर्व वर एवं वधु दोनों की सही आयु की संतुष्टि हेतु उनके मूल जन्म प्रमाणपत्र/अंकसूची/स्कूल की टी.सी.आदि की सत्यापित छायाप्रति दोनों पक्षों से प्राप्त कर अपने पास अनिवार्य रूप से संग्रहित रखें तथा उम्र सही न होने की दशा में मुद्रक संस्थाएं ऐसी पत्रिका छापने से इंकार करें। यदि संभव हो तो वर-वधु की जन्म तिथि का पत्रिका में मुद्रण भी अपेक्षित है तथा ऐसे प्रकरणों की सूचना तत्काल महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय खण्डवा में अथवा उनके दूरभाष क्रमांक 0733-2223794 पर देवें। सूचनाकर्ता की जानकारी पूर्णतः गोपनीय रखी जाएगी।