राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से बाल विवाहों की रोकथाम को लेकर किये जा रहे प्रबंधों के संबंध में जवाब मांगा है। अदालत ने कहा है कि इस संबंध में पंच और सरपंचों को जागरुक किया जाए ताकि बाल विवाहों पर प्रभावी रोक लगायी जा सके। साथ ही चेतावनी भी दी गई है कि बाल विवाह हुए तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार माना जाएगा।
कोर्ट ने कहा है कि आदेशों की प्रति मुख्य सचिव और सभी जिला कलेक्टरों को भेजी जाए, ताकि पंच और सरपंच सहित सभी प्रतिनिधि बाल विवाह रोकने में पूरी तरह जुटें। न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश शुभा मेहता की खंडपीठ ने इस मामले में दायर जनहित याचिका पर ये आदेश दिये हैं। इस बीच, प्रदेश के विभिन्न जिलों में आखातीज और पीपल पूर्णिमा पर अबूझ सावे के चलते संभावित बाल विवाहों की रोकथाम के लिए प्रशासन आवश्कय कदम उठा रहा है। जैसलमेर जिला मजिस्ट्रेट ने अधिकारियों को पत्र भेजकर बाल विवाह की रोकथाम के लिए निरोधात्मक कदम उठाने के आदेश जारी किये हैं। उन्होंने गांवों और कस्बों में पूरी सतर्कता बरतने को कहा है। वहीं जोधपुर ग्रामीण जिले में बाल विवाह रोकने के संबंध में त्वरित कार्रवाई के लिए 24 घंटे कार्यरत नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। साथ ही ग्राम और तहसील स्तरीय समिति तथा सतर्कता दलों का गठन किया गया है।