हिसार, 22 जुलाई, 2023: अमेरिकन ऑन्कोलॉजी इंस्टीट्यूट (एओआई) हिसार ने एक मरीज का राइट सर्वाइकल लिम्फैडेनोपैथी (एलएपी) के माध्यम से सफलतापूर्वक इलाज किया। 52 वर्षीय पुरुष मरीज सीए लैरिंक्स से पीड़ित थे। सीए लैरिंक्स को वॉइस बॉक्स या गले का कैंसर भी कहा जाता है। लैरिंक्स या कंठनली गले का एक हिस्सा है, जो जीभ के आधार और श्वासनली (ट्रेकिआ) के ऊपरी हिस्से के बीच स्थित होता है। लैरिंक्स वोकल कॉर्ड्स को शामिल करता है, जो हवा के विपरीत दिशा में निर्देशित होने पर कंपन करते हैं और ध्वनि उत्पन्न करते हैं। किसी व्यक्ति की आवाज़ बनाने के लिए यह ध्वनि, ग्रसनी या फैरिंक्स (भोजन नली का ऊपरी भाग), मुँह और नाक से होकर गुजरती है। सर्वाइकल लिम्फैडेनोपैथी (एलएपी) गर्दन में स्थित लिम्फ नोड्स की सूजन को इंगित करता है।
मरीज को गर्दन के दाहिने हिस्से में सूजन, गले में दर्द और सामान्य कमजोरी की शिकायत थी। इसके उपचार के लिए उन्होंने हिसार में एओआई में सिफारिश की। बीमारी के बढ़ने के कारण मरीज के लिए आवाज़, श्वसन और भोजन का सेवन करना किसी चुनौती से कम नहीं था। एओआई में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. त्रिविक्रम राव की विशेष देखभाल और विशेषज्ञता के तहत मरीज का व्यापक मूल्यांकन किया गया और इलाज के सबसे उपयुक्त कोर्स को निर्धारित किया गया। मूल्यांकन के बाद, डॉक्टर द्वारा नियोएडजुवेंट कीमोथेरेपी की सलाह दी गई, और इसके बाद एओआई में रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ.सुमीत अग्रवाल द्वारा रेडिएशन योजना बनाई गई।
डॉ. सुमीत अग्रवाल कहते हैं, “भारत में रहने वाले पुरुषों में सिर और गर्दन के कैंसर (एचएनसी) सबसे आम कैंसर होते हैं। इस बीमारी में भारत दूसरे स्थान पर है। हालाँकि, भारत में एचएनसी की व्यापकता और शरीर में इनके फैलने के मामले अलग-अलग होते हैं। देश में हर वर्ष सिर और गर्दन के कैंसर के 200,000 से अधिक मामले सामने आते हैं। इनमें से अधिकांश कैंसर का निदान उन्नत चरणों में किया जाता है, इसलिए, जितनी जल्दी हो सके, इनका पता लगाना बहुत महत्वपूर्ण है।”
वे आगे कहते हैं, “इस मामले में हमारी मल्टी-डिसीप्लीनरी विशेषज्ञों की टीम ने साथ मिलकर एक प्रभावी उपचार योजना तैयार की। इस उपचार के दौरान ट्यूमर को लक्षित किया गया और मरीज की विशिष्ट आवश्यकताओं को संबोधित किया। इस उपचार दृष्टिकोण की प्रभावशीलता, नियोएडजुवेंट कीमोथेरेपी के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया और अनुकूल परिणाम को दर्शाती है।”
मरीज का नियोएडजुवेंट कीमोथेरेपी सहित कई इंटरवेंशंस प्रक्रिया से इलाज किया गया, जिसका उद्देश्य किसी भी निश्चित उपचार से पहले ट्यूमर के आकार को कम करना था। घाव की नियमित ड्रेसिंग के साथ कुल सात बार कीमोथेरेपी दी गई, ताकि मरीज की सर्वोत्तम चिकित्सा और बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सके। इलाज के दौरान मरीज ने सब कुछ अच्छी तरह से सहन किया, जिससे उन्हें चिकित्सा के दौरान उल्लेखनीय प्रगति मिल सकी। गर्दन की गाँठ को आसानी से निकला जा सका, जो मरीज की रिकवरी प्रक्रिया में एक उल्लेखनीय सफलता साबित हुई।
डॉ. अमित धवन, रीजनल सीओओ, अमेरिकन ऑन्कोलॉजी इंस्टीट्यूट, हिसार, ने कहा, “सिर और गर्दन का कैंसर बेहद प्रचलित स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें रुग्णता और मृत्यु दर की सम्भावना अधिक होती है। शुरुआती स्तर पर इसकी पहचान और समय पर इलाज, इस बीमारी का निदान बेहतर तरीके से करने में मदद करते हैं, लेकिन इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए लोगों को इसके प्रति जागरूक करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। टेक्नोलॉजी में प्रगति और नई दवाओं की शुरूआत से मरीजों को जीवन की लगभग सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू करने और गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने में मदद मिलती है। एओआई में हम मरीजों के इलाज और उनके जीवन की गुणवत्ता को वापस लाते हुए इस बीमारी का प्रबंधन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
अमेरिकन ऑन्कोलॉजी इंस्टीट्यूट हिसार, कैंसर उपचार सुविधा के लिए काफी प्रसिद्ध है। उनके पास मरीज के व्यक्तिगत मामले के अनुरूप व्यक्तिगत और व्यापक एकीकृत उपचार योजनाएँ हैं। भारत और पूरे दक्षिण एशिया में सुपर-स्पेशलिटी कैंसर हॉस्पिटल्स के अपने नेटवर्क का विस्तार करने में एओआई सक्षम रहा है। यह संस्थान सिर्फ मरीजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए ही नहीं, बल्कि सर्व-सुविधायुक्त स्थान के लिए भी विशेष पहचान रखता है। हिसार स्थित एओआई, आसपास के शहरों के मरीजों को भी सुविधाजनक पहुँच प्रदान करता है। इसके अलावा, यह हॉस…