Har Ghar Trianga Campaign: भारत की आजादी के 75वें वर्ष से पहले प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत हर घर तिरंगा अभियान शुरू किया है. ये अभियान आज से शुरू हुआ और सोमवार यानी 15 अगस्त तक जारी रहेगा. इस अभियान के तहत पीएम मोदी ने लोगों से भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए अपने घरों पर तिरंगा (Tiranga) फहराने का आग्रह किया है. ऐसे में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के नियम जानने भी जरूरी हैं.
भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार, तिरंगे की गरिमा और सम्मान का अनादर किए बिना सभी अवसरों पर सभी स्थानों पर तिरंगा फहराया जा सकता है. कोड कहता है कि झंडा किसी भी आकार का हो सकता है, लेकिन इसकी लंबाई और ऊंचाई का अनुपात आयताकार आकार में 3:2 होना चाहिए. भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार पहले केवल सूर्यास्त के बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाए, लेकिन इस नियम को अब निरस्त कर दिया गया है. तिरंगा अब दिन के 24 घंटों में किसी भी समय देश में किसी भी व्यक्ति के घर पर प्रदर्शित किया जा सकता है.
तिरंगा फहराने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
नए नियम में कहा गया है तिरंगा दिन-रात फहराया जा सकता है. हालांकि, राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले व्यक्ति के लिए ये सुनिश्चित करना आवश्यक है कि झंडा उल्टा नहीं फहराया जाए यानि ध्वज का केसरिया भाग ऊपर रहना चाहिए. साथ ही आप जो झंडा फहरा रहे हैं वह क्षतिग्रस्त तिरंगे को प्रदर्शित नहीं करना चाहिए और न ही यह जमीन या पानी को छूना चाहिए. राष्ट्रीय ध्वज को किसी भी तरह से क्षतिग्रस्त नहीं किया जाना चाहिए.
अगर राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त हो जाए तो क्या करें?
अगर राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो उसे इस तरह से डिस्पोज किया जाना चाहिए कि उसकी गरिमा को ठेस न पहुंचे. भारतीय ध्वज संहिता का सुझाव है कि इसे जलाकर पूरी तरह से निजी तौर पर डिस्पोज कर देना चाहिए और अगर ये कागज से बना है तो सुनिश्चित करें कि इसे जमीन पर नहीं छोड़ा गया है. क्षतिग्रस्त होने पर तिरंगे की गरिमा को ध्यान में रखते हुए पूरी गोपनीयता के साथ डिस्पोज किया जाना चाहिए.
सभी अवसरों पर फहरा सकते हैं तिरंगा
एक नागरिक, एक निजी संगठन या एक शैक्षणिक संस्थान सभी दिन और अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है. ध्वज प्रदर्शन के समय पर कोई प्रतिबंध नहीं है. सरकार ने भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया है ताकि तिरंगे को खुले में और अलग-अलग घरों या इमारतों में दिन-रात प्रदर्शित किया जा सके. पहले भारतीयों को केवल कुछ विशिष्ट अवसरों पर ही अपना राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति थी, लेकिन उद्योगपति नवीन जिंदल की एक दशक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद ये नियम बदल गया.
23 जनवरी, 2004 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के ऐतिहासिक फैसले में घोषित किया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के अर्थ के भीतर गरिमा और सम्मान के साथ राष्ट्रीय ध्वज को स्वतंत्र रूप से फहराने का मौलिक अधिकार है. भारतीय ध्वज संहिता को पहले पिछले साल दिसंबर में संशोधित किया गया था. जिसमें कपास, ऊन, रेशम और खादी के अलावा हाथ से काते, बुने हुए और मशीन से बने झंडे बनाने के लिए पॉलिएस्टर के उपयोग की अनुमति दी गई थी.
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