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Ujjain : महाकाल मंदिर में ठेकेदार ने दी आत्महत्या की धमकी, मंदिर समिति पर लगाया भुगतान न करने का आरोप…

Ujjain RAIPUR TIMES उज्जैन | विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल के धाम में मई माह में तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का आगमन हुआ था, जिसके लिये जिला प्रशासन ने महाकालेश्वर मंदिर सहित शहर भर में खास तैयारियां की थी. मंदिर समिति द्वारा बाबा महाकाल के मंदिर में साज सज्जा के लिए इंदौर की एक निजी फर्म को ठेका दिया गया था, जिसका बिल 44 लाख से अधिक का बना है. बता दें कि मंदिर समिति द्वारा ठेकेदार को अब तक भुगतान नहीं होने पर उसने आत्महत्या की धमकी दी है.

ठेकेदार ने दी आत्महत्या की धमकी

तत्कालानी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंड के आगमन को लेकर बाबा महाकाल के मंदिर में सीलिंग वर्क, आर्टिफिशियल ग्लास वर्क, एल्युमिनियम शीट, वाल डेकोरेशन, इलेक्ट्रिक वर्क व साज सज्जा के अन्य कार्य किए गए थे. जिसमें 44 लाख से अधिक बिल बना है, मंदिर समिति की ओर से ठेकेदार द्वारा दिये गए बिल का भूगतान अब तक नहीं हुआ तो शुक्रवार को मंदिर प्रशासक के कार्यालय में ठेकेदार ने जमकर हंगामा किया और प्रशासन को कोर्ट में ले जाने की बात कही और सुनवाई न होने पर आत्महत्या कर लेने की बात कह डाली. इस पूरे मामले में जिला कलेक्टर व मंदिर समिति के अध्यक्ष आशीष सिंह ने संज्ञान लिया है और 4सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर ठेकेदार को कोई भी गलत कदम नहीं उठाने व निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.

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कार्य पूरा होने के 7 दिन के अतंराल पर होना था भुगतान

दरअसल इंदौर की फर्म सिग्निफाय प्रेमी वुड जिसके CEO भरत पटवा हैं, उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आगमन से पूर्व साज-सज्जा का कार्य मंदिर समिति द्वारा सौंपा गया. मंदिर समिति को ठेकेदार ने 6 बिंदुओं के आधार पर 44 लाख 91 हजार 768रुपए का कोटेशन बिल बताया. पटवा का कहना है कि उससे कोटेशन के आधार पर माल मंगवा कर काम करने की स्वीकृति मंदिर के प्रशासक गणेश धाकड़ व मंदिर की भावना व्यास द्वारा मिली. भावना व्यास व प्रशासक गणेश धाकड़ ने कहा कि कुछ भुगतान चलते कार्य में व बाकी का कार्य पूरा होने के 7 दिन के अंतराल में आपके कर देंगे.

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जानिए क्या कहा ठेकेदार ने

ठेकेदार ने बताया कि जब उसने समय से पहले ही कार्य करके दे दिया और जब बिल लगाए तो मंदिर के ऑडिट विभाग ने इतना बिल देख माल की गुणवत्ता पर सवाल उठा दिए और कहा कि ये सिर्फ 20 से 21 लाख रुपए का कार्य है इससे ज्यादा पेमेंट नहीं होगा. मेरा आरोप यह है कि अगर गुणवत्ता जांचना था तो काम के वक्त क्यों नहीं जांची गई, वहीं दूसरा यह कि बिल 44 लाख से अधिक का कोटेशन में स्पष्ठ था. बावजूद उसके कार्य पूरा होने व बिल भूगतान के समय मुझे बील पर आपत्ति लगाकर परेशान किया जा रहा है. मुझे जवाब चाहिए वरना में आत्महत्या करूंगा, क्योंकि मुझे भी दूसरों को पैसा देना है. मैं कहा से लाऊंगा, मेरा भुगतान नहीं हुआ तो में कोर्ट भी जाऊंगा और सुनवाई नहीं हुई तब आत्महत्या करूंगा.

कोटेशन पर लाखों का काम करवाना गलत  

जब पूरे मामले में मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ से बात की तो उन्होंने कहा कि फर्म ने काम किया है, लेकिन ऑडिट विभाग ने इस पर गुणवत्ता को लेकर आपत्ती जताई है. आपत्ति पर जांच करवाई गई है, जांच में जो कार्य है उसका सिर्फ 20 से 21 लाख बन रहा है. वहीं मंदिर से जुड़े जानकारों का यह मानना है शासकीय कार्य 1 लाख से अधिक के मंदिर के प्रशासक और भावना व्यास ने कोटेशन के आधार पर क्यों करवाए, यह काम के लिए निविदा आमंत्रित क्यों नहीं की गई, कोटेशन पर लाखों का कार्य करवाना गलत है.

जिला कलेक्टर ने लिया संज्ञान 

कलेक्टर व मंदिर समिति अध्यक्ष आशीष सिंह ने कहा पूरे मामले को गम्भीरता से लेते हुए 4 सदस्यीय जांच टीम गतित की है, जिसमें 2 पीडब्ल्यूडी व 2 यूडीए के इंजीनियर शामिल हैं, जो रिपोर्ट पेश करेंगे और उसके बाद जो दोषी होगा उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी. कलेक्टर ने आशीष सिंह ने कहा समय कम था कार्य बड़ी राशि का होने से टेंडर प्रक्रिया करवाना थी जो नहीं हो पाई.

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