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डॉलर में बिक रहा वृंदावन का कण कण, 3500 रुपए किलो तक बेची जा रही ब्रज रज; सनातनियों में उबाल

‘ब्रज की रज भक्ति बनी, ब्रज है कान्हा रूप, कण कण में माधव बसे कृष्ण समान स्वरूप’ ब्रज की जिस रज में कभी कान्हा खेले, लोटे और खायें हो, उस रज की महिमा अपरंपार है।

इसी ब्रज की रज में मिल जाने की कामना लेकर ऋषि मुनियों ने कड़ी तपस्या की। इस रज को माथे पर लगाने के लिए देवी-देवता भी आकुल रहते हैं। ब्रज की जिस रज को माथे पर लगाकर श्रद्धालु खुद को धन्य मानते हैं। आज इसी रज का व्यापार हो रहा है। इससे न सिर्फ साधु-संतो बल्कि ब्राह्मण समाज और पुजारियों में गुस्सा व्याप्त है।

वृंदावन की जिस रज में खेलकर कान्हा ने उसे बिना मोल का कर दिया हो, आज उसी रज से डॉलरों में व्यापार किया जा रहा है। इस रज को ऑनलाइन माध्यम से बेचा जा रहा है। यह रज ऑनलाइन शॉपिंग साइट अमेजन सहित कई अन्य ऑनलाइन स्टोर्स पर उपलब्ध है। ब्रज की यह रज 1200 से 3500 रुपए प्रति किलो तक बेची जा रही है।

वृंदावन से इन सामानों का हो रहा ऑनलाइन कारोबार-
ब्रज रज, कंठी माला, धूपबत्ती, पोशाक, अंगार का सामान, इत्र, चंदन टीका, जप माला, मूर्ति, तस्वीर, प्रसाद, तुलसी के पौधे, तुलसी की माला, धार्मिक पुस्तकें, गाय के गोबर के उपले, हवन के लिए लकड़ी का कारोबार हो रहा है। इनकी कीमतों की बात करें तो ऑनलाइन माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 10 डॉलर से लेकर 100 डॉलर तक है। इसके अलावा बड़ी मूर्तियों के दाम 200 से 250 डॉलर तक हैं।

गिरिराज जी की शिला बेचने पर दर्ज हुआ था मुकदमा
इससे पहले वर्ष 2021 में गिरिराज जी की शिला ऑनलाइन बेचे जाने का प्रयास हुआ था। इस पर संतों में आक्रोश फैल गया था। उन्होंने गोवर्धन थाने पर मुकदमा भी दर्ज कराया था। इंडिया मार्ट के प्लेटफॉर्म पर लक्ष्मी डिवाइन आर्टिकल स्टोर 5175 रुपए में शिला बेच रहा था। वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने भी इसका विरोध किया था। उन्होंने अनिष्ट होने की भी चेतावनी दी थी।

ऑनलाइन ब्रजरज बेचने पर सनातनियों में उबाल
वृंदावन के गोधुलीपुरम स्थित श्रीहरिदास धाम में अध्यातम रक्षा मंच की बैठक संत श्रीहरिदास की अध्यक्षता में हुई। इसमें भगवान श्रीराधाकृष्ण की ब्रज 84 कोस लीला में ब्रजरज को अमेजन ऑनलाइन गोपी कृष्णा पूजन भंडार द्वारा बेचे जाने पर आक्रोश व्यक्त किया।

अध्यात्म रक्षा मंच के संस्थापक बिहारी लाल वशिष्ठ ने कहा कि चैतन्य महाप्रभु बल्लभाचार्य ने कहा था कि श्रीहरिवंश आचार्य हरि रामव्यास ने ब्रजरज में लोटपोट होकर अपनी भक्ति की आराधना की। उनके अनेक प्रमाण हैं। बांकेबिहारी मंदिर के सेवयात हरिदास संप्रदाय के अनुयायी आनंद बल्लभ गोस्वामी और प्रदीप गोस्वामी बिंदू ने कहा कि रज को बेचने वालों के प्रति कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।

इस मौके पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास के महानगर अध्यक्ष नरेश ठाकुर, ब्रह्मचारी विमल चैतन्य, महंत जानकी शरण महाराज, राजेश पाठक, बालो पंडित, लक्ष्मीकांत कौशिक, विष्णुकांत भरद्वाज, कृष्ण गोपाल शर्मा आदि मौजूद थे।

चतुः संप्रदाय के महंत फूलडोल बिहारी दास ने कहा कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने भी ब्रज की रज में आने की इच्छा जताई थी। इस रज में लोटने से पापों से तो छुटकारा मिलता ही है। साथ ही मुक्ति मिल जाती है। बचपन में श्रीकृष्ण इसी रज को खाते थे। इसे बेचा जाना पाप है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।

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