Sawan 2022 धर्म नेशनल डेस्क बिहार। बिहार के समस्तीपुर में नागपंचमी के दिन हर साल सांपों का अद्भुत मेला लगता है. इस अद्भुत मेले को देखने के लिए दूसरे राज्यों से काफी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. ऐसी मान्यताएं है कि इस मेले में मांगी गई मुरादें पूरी होती है. बीते तीन सौ सालों से परंपरागत तरीके से सांपों के मेले का आयोजन होता आ रहा है.
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बता दें कि समस्तीपुर जिले के सिंघिया में नागपंचमी के दिन यह अद्भुत सांपों का मेला snake fair लगाया जाता है. इस मेले में नदी से सैकडों की संख्या में भगत सांपों को डुबकी लगाकर निकालते है. इस मेले को देखने के लिए देश-विदेश के अलग-अलग हिस्से से काफी संख्या में लोग आते हैं. इस मेले का इतिहास लगभग 300 साल पुराना है. हजारों की संख्या में लोग श्रद्धापूर्वक इस मेले को देखने प्रति वर्ष यहां पहुंचते हैं. नदी से भगत तरह-तरह की प्रजाति के सांप निकालते हैं और लोग उस पर ताली बजाकर उनका उत्साह बढ़ाते हैं. भगत सांपों को नदी में डुबकी लगाकर हांथ और मुंह से पकड़ कर निकालते हैं जिसे देख कर लोग अचंभित हो जाते हैं.
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snake fairमेले की शुरुआत में भगत सिंघिया बाज़ार स्थित मां भगवती के मंदिर से पूजा अर्चना कर ढोल तासे के साथ गंडक नदी पहुंचते हैं, फिर नदी में भी पूजा अर्चना कर डुबकी लगाते हैं और शुरू हो जाता है नदी से सांपों को निकालने का सिलसिला. इस तरह से नदी से सांपों को निकालने के हैरतअंगेज मेले को देख लोग तरह-तरह के कयास भी लगाते हैं, कुछ लोग इसे श्रद्धा से जोड़ कर भगवान का चमत्कार बताते है.
अनहोनी की बनी रहती है आशंका
धीरे-धीरे ये परम्परा आगे बढ़ती गई और बाद में ये इलाके का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बन गया. बताया जाता है कि विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद भगत गांव में स्थित पोखर में आते हैं और पोखर से सैकड़ों विषैले सांपों को निकालने का काम करते हैं. जैसे सांप न हो बल्कि कोई खिलौना हो. सांप को देखते और नाम सुनते ही जहां लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं,
वहीं सांपों को पकड़ने उनके साथ खेलने की यह परंपरा चमत्कार है या फिर कुछ और यह जांच का विषय है. हालांकि इतने बरसों से लगने वाले इस मेले की सच्चाई का पता आज तक लोगों को नहीं लग पाया है. लोग बस इसे धार्मिक आस्था से जोड़कर देखते हैं. सांपों के इस मेले के कारण किसी अनहोनी की आशंका भी हमेशा बनी रहती है लेकिन आस्था के आगे डर की हार होती है और लोग उत्साह के साथ नाग पंचमी हर साल इसी तरह से मनाते हैं.
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snake fair लोगों का कहना है की इस दिन मांगी गयी मुराद पूरी हो जाती है. वहीं इस मेले में हिस्सा लेने वाले भगत का कहना है कि सिद्धि पूरी होने पर नदी से निकाले गए सांपों को सुरक्षित स्थानों पर छोड़ दिया जाता है. यह अद्भुत है कि सांपों का मेला दूसरे जगह देखने को नहीं मिलता है. इसलिए इसका एक अलग ही महत्व है. लोगों की मान्यता है कि समस्तीपुर जैसे सांपों के मेले का आयोजन पूरे भारत में सिर्फ यहीं पर होता है.
“यह मेला हमारे पूर्वजों के समय से चला आ रहा है. नाग को पोखर नहर से निकाला जाता है. इसकी तैयारी काफी दिनों पहले से की जाती है. भगवती माता हर इच्छा पूरी करती हैं.”– हरेराम, भगत
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