
मंदिर का रहस्य जुड़ा है ब्रह्मदेव से
पौराणिक कथा मिलती है ब्रह्म देव के पांच मुख थे। चार मुख तो भगवान की अर्चना करते थे। लेकिन उनका एक मुख हमेशा ही बुराई करता रहता था। एक दिन भगवान शिव ने क्रोध में आकर ब्रह्मदेव के उस मुख को शरीर से अलग कर दिया। इससे भगवान शिव को ब्रह्म हत्या का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव पूरे ब्रह्मांड में घूमे लेकिन उन्हें ब्रह्म हत्या से मुक्ति का उपाय नहीं मिला। इसी दौरान वह घूमते-घूमते सोमेश्वर पहुंच गए।
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जब बछड़े ने हल की भोलेनाथ की समस्या
इस वजह से शिव जी के सामने विराजमान नहीं हैं नंदी
नंदी की वजह से भगवान शिव ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त हुए थे। इसलिए भगवान शिव ने उन्हें अपना गुरु मान लिया। चूंकि अब नंदी महादेव के गुरु बन गए इसीलिए उन्होंने इस मंदिर में नंदी बाबा को स्वयं के सामने बैठने से मना किया। यही वजह है कि इस मंदिर में भोलेनाथ तो हैं लेकिन नंदी बाबा नहीं है।
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कपालेश्वर महादेव Kapaleshwar Mahadev Temple मंदिर की सीढ़ियां उतरते ही सामने गोदावरी नदी बहती नजर आती है। उसी में प्रसिद्ध रामकुंड है। भगवान राम ने इसी कुंड में अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध किया था। इसके अलावा कपालेश्वर मंदिर के ठीक सामने गोदावरी नदी के पार प्राचीन सुंदर नारायण मंदिर है। यहां हर साल हरिहर महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस दौरान कपालेश्वर और सुंदर नारायण दोनों ही भगवानों के मुखौटे गोदावरी नदी पर लाए जाते है। इसके बाद दोनों को एक-दूसरे से मिलाया जाता है। सावन का महीना हो या महाशिवरात्री यहां भारी भीड़ लगती है।
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