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Sawan 2022 : भारत का अनुठा शिव मंदिर जहां शिव के नंदी हैं लापता, जानिए क्या है वजह…

RAIPUR TIMES धर्म |Sawan 2022 आपने कभी सुना या देखा है क‍ि क‍िसी श‍िव मंदिर में भोले बाबा हों लेक‍िन नंदी बाबा की प्रत‍िमा न हो। जी हां हम यहां एक ऐसे ही मंदिर की बात करने जा रहे हैं जो क‍ि नासिक (Nashik )में है। यहां भोलेशंकर के प्रिय वाहन नंदी उनके साथ नहीं हैं। गोदावरी तट पर बसे इस मंदिर का नाम कपालेश्वर महादेव मंदिर (Kapaleshwar Mahadev Temple )है। पुराणों में बताया गया है क‍ि भगवान शिवजी ने यहां निवास किया था। कहा जाता है क‍ि यह देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिवजी के सामने नंदी बाबा नहीं है। यही इस मंद‍िर की विशेषता है। तो आइए सावन सोमवार के मौके पर जानते हैं श‍िवजी के इस अनूठे मंदिर का रहस्‍य क्‍या है? आख‍िर क्‍यों यहां श‍िवजी अपने प्र‍िय नंदी के बिना ही व‍िराजते हैं।

मंदिर का रहस्‍य जुड़ा है ब्रह्मदेव से

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पौराणिक कथा म‍िलती है ब्रह्म देव के पांच मुख थे। चार मुख तो भगवान की अर्चना करते थे। लेकिन उनका एक मुख हमेशा ही बुराई करता रहता था। एक द‍िन भगवान शिव ने क्रोध में आकर ब्रह्मदेव के उस मुख को शरीर से अलग कर दिया। इससे भगवान शिव को ब्रह्म हत्या का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति पाने के ल‍िए भगवान शिव पूरे ब्रह्मांड में घूमे लेकिन उन्हें ब्रह्म हत्या से मुक्ति का उपाय नहीं मिला। इसी दौरान वह घूमते-घूमते सोमेश्वर पहुंच गए।

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जब बछड़े ने हल की भोलेनाथ की समस्‍या

कथा के अनुसार भोलेशंकर जब सोमेश्‍वर पहुंचे तब वहां एक बछड़े ने भगवान शिव को ब्रह्महत्‍या के पाप से मुक्ति का उपाय बताया। इसके अलावा वह भोलेनाथ को लेकर उस स्‍थान पर गया जहां पर उन्‍हें इस ब्रह्महत्‍या के पाप से मुक्ति म‍िलनी थी। यह स्‍थान गोदावरी का रामकुंड था। जहां उस बछड़े ने भोलेनाथ को स्नान करने को कहा। मान्‍यता है क‍ि वहां स्नान करते ही भगवान शिव ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो सके। उन्‍हें इस पाप से मुक्‍त कराने का मार्ग बताने वाले बछड़े के रूप में वह कोई और नहीं बल्कि नंदी बाबा ही थे।

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इस वजह से शिव जी के सामने विराजमान नहीं हैं नंदी

नंदी की वजह से भगवान शिव ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त हुए थे। इसलिए भगवान शिव ने उन्हें अपना गुरु मान ल‍िया। चूंकि अब नंदी महादेव के गुरु बन गए इसीलिए उन्होंने इस मंदिर में नंदी बाबा को स्वयं के सामने बैठने से मना किया। यही वजह है क‍ि इस मंद‍िर में भोलेनाथ तो हैं लेक‍िन नंदी बाबा नहीं है।

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कपालेश्‍वर महादेव Kapaleshwar Mahadev Temple मंदिर की सीढ़‍ियां उतरते ही सामने गोदावरी नदी बहती नजर आती है। उसी में प्रसिद्ध रामकुंड है। भगवान राम ने इसी कुंड में अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध किया था। इसके अलावा कपालेश्वर मंदिर के ठीक सामने गोदावरी नदी के पार प्राचीन सुंदर नारायण मंदिर है। यहां हर साल हरिहर महोत्सव का आयोजन क‍िया जाता है। इस दौरान कपालेश्वर और सुंदर नारायण दोनों ही भगवानों के मुखौटे गोदावरी नदी पर लाए जाते है। इसके बाद दोनों को एक-दूसरे से म‍िलाया जाता है। सावन का महीना हो या महाशिवरात्री यहां भारी भीड़ लगती है।

 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि RAIPUR TIMES किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.  

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