रायपुर no monkeypox in chhattisgarh छत्तीसगढ़ में मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीज की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। नेशनल इंस्टीयूट ऑफ वॉयरोलॉजी (NIV) लैब से शनिवार को उसकी रिपोर्ट आ गई। उसके शरीर पर पड़े दानों के मुरझा जाने के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इस 13 साल के बच्चे को पांच दिन पहले रायपुर के डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया था।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया, मंकीपॉक्स के संदेहास्पद मरीज की जांच NIV पुणे से कराई गई। उपचार के बाद अब वह स्वस्थ हो चुका है। सिंहदेव ने कहा, यह इत्मिनान की बात है कि छत्तीसगढ़ अभी इस बीमारी से अछूता है, मगर हम सभी को एहतियात बरतने की आवश्यकता है। सभी से अनुरोध है कि बीमारी के कोई भी लक्षण पाए जाने पर नज़दीकी अस्पताल में संपर्क करें और गम्भीरता से इसकी जांच करवाएं।
no monkeypox in chhattisgarh मूल रूप से कांकेर का रहने वाला यह छात्र जैतूसाव मठ के छात्रावास में रहता है। उसके शरीर पर लाल दाने दिखाई दिए। 25 जुलाई को उसे जिला अस्पताल के चर्म रोग विभाग की ओपीडी में दिखाया गया। वहां मंकीपॉक्स संदिग्ध मानकर डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज जाने को कहा। 26 जुलाई को उसे मेडिकल कॉलेज से संबद्ध डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल की ओपीडी में दिखाया गया।
आज कांकेर जिले में मंकीपॉक्स के संदेहास्पद एक मरीज़ के सैंपल की जांच NIV पुणे में करवाई गई, जहां उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है।
संतोष की बात है कि अब वह शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर में उपचार लेकर स्वस्थ हो चुके हैं।
(1/2)— T S Singhdeo (@TS_SinghDeo) July 30, 2022
यहां शुरुआती जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर लिया। प्रोटोकाल के मुताबिक मरीज के सैंपल को जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलाजी के लैबोरेटरी भेजा गया। उसकी रिपोर्ट शनिवार को आई।
बच्चे को स्किन इंफेक्शन ही था
no monkeypox in chhattisgarh डॉक्टरों ने बताया, बच्चे को खुजली जैसी बीमारी ही थी। चर्म रोग के विशेषज्ञों के परामर्श पर उसे 26 जुलाई से ही स्किन इंफेक्शन की दवाएं दी जा रही थीं। शुक्रवार तक उसके दाने और घाव सूख चुके थे। डॉक्टरों को बस उसकी रिपोर्ट का इंतजार था। वहां से रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उसे छुट्टी दी गई।
गांव में भी जांच के लिए पहुंची थी टीम
छात्र में मंकीपॉक्स जैसे लक्षण दिखने के बाद स्वास्थ्य विभाग की एक टीम कांकेर के चारामा स्थित उसके गांव भी पहुंचा। विभाग की स्पेशल टीम ने वहां छात्र के संपर्क में आए लोगों की जांच की। छात्र की मां, दादा और बहन के अलावा परिवार के अन्य सदस्य व आसपास के लोगों समेत कुल 13 लोगों की जांच की गई। किसी में भी वैसे लक्षण दिखाई नहीं दिए। वहां पता चला कि छात्र के शरीर पर दाने डेढ़ महीने पहले से थे। उसने वहां एक निजी क्लिनिक में इलाज कराया था। पूरी तरह ठीक होने से पहले ही उसे पढ़ने के लिए रायपुर भेज दिया गया।
मंकीपॅक्स की वजह भी एक वायरस ही है
डॉक्टरों का कहना है, मंकीपॉक्स एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जो पॉक्स विरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस से संबंधित है। 1970 में कांगो के एक नौ साल के बच्चे में सबसे पहले यह वायरस मिला था। तब से पश्चिम अफ्रीका के कई देशों में इसे पाया जा चुका है। इसके लिए कई जानवरों की प्रजातियों को जिम्मेदार माना गया है। इन जानवरों में गिलहरी, गैम्बिया पाउच वाले चूहे, डर्मिस, बंदर आदि शामिल हैं।
यह लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को बताएं
मंकीपॉक्स के संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक आमतौर पर 6 से 13 दिनों तक होती है। कभी-कभी यह 5 से 21 दिनों तक हो सकती है। बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण आते हैं। शुरुआत में यह चेचक यानी स्मॉलपॉक्स जैसा ही दिखता है।
एक से तीन दिन के भीतर त्वचा पर दाने उभरने लगते हैं, वह फटते भी हैं। ये दाने गले के बजाय चेहरे और हाथ-पांव पर ज्यादा केंद्रित होते हैं। यह चेहरे और हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों को ज्यादा प्रभावित करता है।