भारत में ही एक ऐसा गांव है, जहां लोग घर के बाहर भी नंगे पांव रहते हैं? जी हां, भारत के इस गांव में लोग जूते और चप्पल (Village Bans Shoes) नहीं पहनते. अगर कोई ऐसा करता है तो उसके लिए सजा का प्रावधान है.
हम बात कर रहे हैं भारत के तमिलनाडु में मौजूद अंडमान की. ये गांव राज्य की राजधानी चेन्नई से करीब साढ़े चार सौ किलोमीटर अंदर है. यहां लगभग एक सौ तीस परिवार रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर किसान हैं. ये गांव में ही खेती कर अपना गुजारा करते हैं. गांव के एंट्रेंस पर ही एक बड़ा सा पेड़ है जहां कई लोग पूजा करते हैं. बस इसी जगह से अंदर एंट्री करते हुए लोगों को अपने पैर से जूते और चप्पल निकाल लेने पड़ते हैं. ऐसा करने के पीछे गांववालों की धार्मिक मान्यता है.
गांव को मानते हैं पवित्र
गांव वालों का कहना है कि उनका ये पूरा गांव ही मंदिर है. अगर कोई इस धार्मिक स्थल पर जूते पहनकर आएगा, तो उसे भगवान ही सजा देंगे. उसे तेज बुखार आ जाएगा या फिर उसे कोई ऐसी बीमारी हो जाएगी, जिसका इलाज नहीं है. यहां रहने वाले करीब पांच सौ लोगों में सिर्फ बेहद बुजुर्ग लोगों क ही गर्मी के मौसम में दोपहर में पैरों में जूते पहनने की इजाजत है. इसके अलावा कोई भी अगर ऐसा करते नजर आता है तो उसे सजा दी जाती है. वो भी बेहद सख्त. गांव के इस नियम का सभी पालन करते हैं.
गांव से बाहर निकलने पर वो इंसान जूते चप्पल पहन लेता है और लौटते समय गांव की सीमा से पहले ही जूता चप्पल उतार हाथ में लेकर अपने घर पहुंचता है। इस गांव में यह अजीब परंपरा कब से चली आ रही है इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है, स्थानीय लोगो का मानना है की कई पीढ़ियों से गांव के सभी लोग इस परंपरा को बहुत अच्छे से निभा रहे हैं। गांव के बच्चे भी स्कूल नंगे पांव ही जाते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव के लोग सदियों से इस अजब-गजब परंपरा को निभाते चले आ रहे हैं। ऐसे में अगर इस गांव के लोगों को बाहर जाना होता है तो हाथ में चप्पल लेकर गांव की सीमा के बाहर जाने के बाद उसे पहनते हैं और फिर जब वापस आते हैं तो गांव की सीमा से पहले ही जूता चप्पल उतार देते हैं। ऐसे में यहां के लोग जूते -चप्पल पहनने के नाम पर नाराज भी हो जाते हैं।