अन्नकूट 2022: आमतौर पर दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा की जाती है, अन्नकूट होता है. भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाया जाता है यह परंपरा काफी पुरानी है। काफी पुराने समय से चली आ रही है। आइए जानते हैं कि यह परंपरा कैसे शुरू हुई और भगवान कृष्ण को छप्पन भोग क्यों लगाए जाते हैं।
ऐसे शुरू हुई थी अन्नकूट की परंपरा Annakoot 2022
प्रचलित कथाओं के अनुसार श्री कृष्ण जब वृंदावन वासियों को देवराज इंद्र के स्थान पर गोवर्धन पूजा करने की सलाह दी थी तो सभी ने उनकी बात मान ली थी। इस बात को जानकर देवराज इंद्र बहुत क्रोधित हुए थे और उन्होंने मूसलाधार बारिश शुरु कर दी। तब श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर छाते-सा तान दिया था। करीब 7 दिन तक गांव वाले उसी पर्वत के नीचे बैठे रहे। तब देवराज इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। 7 दिन बाद श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा। इसके बाद से ही प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पर्वत की पूजा कर अन्नकूट महोत्सव मनाया जाने लगा।
श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाने का कारण
मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण ने लगातार 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाए रखा था। इस दौरान उन्होंने कुछ भी खाया पिया नहीं था। 7 दिनों के बाद आठ पहर के हिसाब से माता यशोदा और गांव वालों ने उनके लिए 56 पकवान बनाएं और श्रीकृष्ण को खिलाएं। तभी से छप्पन भोग की परंपरा चली आ रही है। वहीं एक कारण यह भी है कि भगवान विष्णु के अनेक आसन हैं। जिसमें से कमल भी एक आसन है। जिस कमल पर भगवान विष्णु बैठते हैं, उसकी पंखुड़ियों की संख्या 56 है। इसलिए भगवान कृष्ण को छप्पन भोग लगाए जाते हैं।
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