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छत्तीसगढ़ : DA की मांग को लेकर हड़ताल का आज दूसरा दिन, कर्मचारी संगठनों ने बताया पहले दिन के हड़ताल को सफल…

 RAIPUR TIMES रायपुर,छत्तीसगढ़ में शासकीय कर्मचारी और अधिकारियों के कलम बंद हड़ताल का आज दूसरा दिन है । इस कलम बंद हड़ताल में लगभग 75 कर्मचारी- अधिकारी संगठन अपने दफ्तर से काम बंद कर हड़ताल पर चले गए हैं । ऐसे में आम लोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है । लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि आखिर केंद्रीय कर्मचारियों के समान राज्य के कर्मचारियों को DA यानी महंगाई भत्ता कैसे दिया जाए?

राज्य सरकार अगर केंद्रीय कर्मचारियों की तरह 34% महंगाई भत्ता राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों को देती है तो उस पर 2200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा । ऐसे में पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता देना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है । राज्य के सामने उस समय और चुनौती खड़ी हो गई जब केंद्र ने पीएफआरडीए (पेंशन स्कीम) के हजारों करोड़ लौटाने से इंकार कर दिया।

राज्य के लाखों कर्मचारियों की मांग जायज है कि उन्हें महंगाई की मार से बचाने के लिए महंगाई भत्ता अपेक्षानुरूप मिलना चाहिए लेकिन वित्तीय प्रबंधन की चुनौती ने आंदोलन की स्थिति पैदा कर दी है। इसी वजह से सरकार का अमला अब इस बात पर विचार कर रहा है कि डीए और पुरानी पेंशन योजना में प्राथमिकता किसे दी जाए।

दरअसल, पुरानी पेंशन स्कीम के लिए राज्य को अभी से पेंशन निधि सृजित करनी होगी और एक नियमित बचत को उसमें डालना होगा। केंद्र के समान डीए देने पर सरकार पर सालाना 22 सौ करोड़ का वित्तीय भार आएगा। बता दें कि अभी सरकार कर्मचारियों को 22 प्रतिशत डीए दे रही है, जिसपर 55 सौ करोड़ का खर्च आ रहा है। राज्य सरकार केवल वेतन भत्तों पर 25 हजार करोड़ खर्च कर रही है।

केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को 34 प्रतिशत डीए दे रही है। कर्मचारियों की मांग है कि उनको भी उनके समान ही डीए दिया जाए। वित्तीय मामलों के जानकारों का कहना है कि कोरोना काल में जहां आमदनी कम हुई और अतिरिक्त खर्चे बढ़ गए। इस कारण राज्य की वित्तीय स्थिति पर विपरीत असर पड़ा। ऐसे में सरकार को वित्तीय प्रबंधन की दृष्टि से संसाधनों की दीर्घकालीन प्लानिंग करनी होगी।

कर्मचारी संग़ठन ने बताया हड़ताल को सफल

कलम बंद हड़ताल में गए कर्मचारी-अधिकारी संग़ठन ने पहले दिन के हड़ताल को सफल बताया है । कर्मचारी-अधिकारी संगठन ने कहा कि हमारे हड़ताल में लगभग 90% लोगों की उपस्थिति रही जिससे पहले दिन का हड़ताल सफल हो पाया है । आपको बताते चलें कि स्कूल से लेकर अस्पताल तक इस कलम बंद हड़ताल का खासा असर देखने को मिल रहा है । बच्चे स्कूल तो जा रहे हैं लेकिन पढ़ाई नहीं हो पा रही है । वहीं मरीजों का भी कुछ ऐसा ही हाल है । मरीज अस्पताल तो पहुंच रहे हैं लेकिन उन्हें ना तो नर्स मिल रहा है और ना ही डॉक्टर, ऐसे में भला उनका इलाज कैसे हो पाएगा? अब देखना होगा कि इन कर्मचारी संगठनों से सरकार कब बात करती है और यह कलम बंद हड़ताल 29 जुलाई से पहले बंद हो पाता है या नहीं?

 

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